16 मई 2024 को केरल के कोझिकोड जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक अत्यंत दुखद घटना घटित हुई। यहां एक चार साल की बच्ची को अतिरिक्त उंगली को हटाने के लिए भर्ती किया गया था, लेकिन गलत तरीके से उसकी जीभ की सर्जरी कर दी गई। यह चौंकाने वाला चिकित्सकीय लापरवाही का मामला न केवल एक गंभीर त्रुटि है, बल्कि यह भारत के स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में रोगी सुरक्षा और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुधारों की आवश्यकता का कठोर अनुस्मारक भी है।
भारत में चिकित्सकीय लापरवाही कोई नई बात नहीं है, और यह नवीनतम मामला इस बढ़ती सूची में एक दुखद जोड़ है, जिसे रोका जा सकता था। यह लापरवाही पूरे देश में अस्पतालों, क्लीनिकों और देखभाल केंद्रों को परेशान करती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के शोध के अनुसार, भारत में सालाना 5.2 मिलियन तक मामलों की भयावह दर दर्ज की जाती है।
इस घटना ने देश की स्वास्थ्य व्यवस्था में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मरीजों की सुरक्षा और चिकित्सकीय प्रक्रियाओं में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि सरकार और स्वास्थ्य संस्थान कठोर कदम उठाएं। इस तरह की लापरवाही से न केवल मरीजों की जान खतरे में पड़ती है, बल्कि यह चिकित्सा पेशे की साख पर भी सवाल उठाता है।
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यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में किस तरह की खामियां मौजूद हैं, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। अगर इस प्रकार की लापरवाही पर तुरंत कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो यह एक गंभीर समस्या के रूप में और भी गहरा सकती है।
source: The Quint